माँ का सामना करते ही आँखे भीग गई थीं ... उसे खामोश देख माँ
ने कहना शुरू किया मैं जानती हूँ तुम कहना चाहती हो बहुत कुछ पर कह नहीं
पाओगी, हर बार की तरह इस बार भी तुम्हारी खामोशी ने ढेरों सवाल मेरे आगे
कर दिये हैं, रिश्तों का होना ही नहीं इनका निभाना मायने रखता है मन के
रिश्ते आत्मा से जुड़े होते हैं ये माँ का सम्बोधन मेरे लिए जहाँ
सम्मान है वहीं तुम्हारे लिए वह सुकून है। मैं अपने हर बच्चे की तरह
तुम्हारे लिये भी यही चाहत रखती हूँ कि बहुत ऊंचाई तक पहुँचो तुम, जो मुझ
पर विश्वास है तुम्हारा उसमें कभी भी संशय न आये, तुम्हारे हर सवाल का
जवाब मैने दिया है, जो तुमने पूछे हैं और उनका भी कई बार देती हूँ जो
तुम्हारे लिए उलझन बनते हैं या तुम्हारे रास्ते की रूकावट हो जाते हैं।
यकीन मानो माँ का मन अपने हर बच्चे के लिये एक सा ही होता है, वो कहीं भी
रहे किसी हाल में रहे उसे अहसास होता है अपने बच्चे की जरूरतों का पर वो
कहती नहीं है कभी तो उसका यह मतलब बिल्कुल नहीं लगाना चाहिये कि वह तुमसे
स्नेह नहीं रखती।
तुम सबकी खुशियों के लिये मैं संकल्पवान हूँ, जब कहीं कुछ तुम गलत करते हो तो मैं स्वयं को दोषी मानती हूँ, जब कहीं कुछ भी अच्छा घटता है या होता है तो उसके लिए ईश्वर की शुक्रगुजा़र होती हूँ किसी के प्रति तुम्हारे मन में द्वेष न हो, सच के रास्ते पर चलो मुश्किलें तो आएंगी पर सीख भी तभी पाओगे ... लेकिन आगे के रास्ते आसान हो जाएंगे, तुम्हें सिखाने के लिए मैं भी रोज सीखती हूँ कुछ नया कभी - कभी तुम्हारे सवाल मेरे लिये मात्र सवाल ना होकर जिंदगी का सबक बन जाते हैं पर उद्देश्य मेरा एक ही होता है तुम सबकी खुशी, जिससे मुझे मिलता है संबल जो मुझे देता है एक नई दिशा जीवन को जीने की..... तुम मुझे आवाज दो या नहीं मैं तो हमेशा तुम सबके साथ होती हूँ फिर भय कैसा ?
उसकी डायरी का यह पन्ना पढ़ते वक्त उसकी माँ की आकृति स्पष्ट हो मेरी आँखों में उतर आई थी ममता का यह रूप कितना प्यारा और कितना सजीव लगता है न उसकी किस्मत से रश्क़ भी होता है पल भर के लिए फिर सोचती हूँ ... सच ऐसी माँ का मिलना सौभाग्य है उसके लिए जिनकी छाया में एक नया जीवन मिलेगा उसे....
तुम सबकी खुशियों के लिये मैं संकल्पवान हूँ, जब कहीं कुछ तुम गलत करते हो तो मैं स्वयं को दोषी मानती हूँ, जब कहीं कुछ भी अच्छा घटता है या होता है तो उसके लिए ईश्वर की शुक्रगुजा़र होती हूँ किसी के प्रति तुम्हारे मन में द्वेष न हो, सच के रास्ते पर चलो मुश्किलें तो आएंगी पर सीख भी तभी पाओगे ... लेकिन आगे के रास्ते आसान हो जाएंगे, तुम्हें सिखाने के लिए मैं भी रोज सीखती हूँ कुछ नया कभी - कभी तुम्हारे सवाल मेरे लिये मात्र सवाल ना होकर जिंदगी का सबक बन जाते हैं पर उद्देश्य मेरा एक ही होता है तुम सबकी खुशी, जिससे मुझे मिलता है संबल जो मुझे देता है एक नई दिशा जीवन को जीने की..... तुम मुझे आवाज दो या नहीं मैं तो हमेशा तुम सबके साथ होती हूँ फिर भय कैसा ?
उसकी डायरी का यह पन्ना पढ़ते वक्त उसकी माँ की आकृति स्पष्ट हो मेरी आँखों में उतर आई थी ममता का यह रूप कितना प्यारा और कितना सजीव लगता है न उसकी किस्मत से रश्क़ भी होता है पल भर के लिए फिर सोचती हूँ ... सच ऐसी माँ का मिलना सौभाग्य है उसके लिए जिनकी छाया में एक नया जीवन मिलेगा उसे....